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Mental Health Therapy: आखिर कितना और कबतक उदास रहना है ‘नॉर्मल’? जानें कौन से संकेत दिखने पर लेनी चाहिए मेंटल हेल्थ थेरेपी

अगर आपकी खराब मेंटल हेल्थ है तो इससे आपकी पूरी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है. कभी-कभार स्ट्रेस या एंग्जायटी या फिर हर वक्त उदासी का अनुभव होना नॉर्मल बात है. ऐसी में आपको एक्सपर्ट की जरूरत कब है और कब तक ये नॉर्मल है, ये समझना बहुत जरूरी है.

Mental Health Therapy (Photo: Unsplash) Mental Health Therapy (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • लेनी चाहिए मेंटल हेल्थ थेरेपी

  • मेंटल हेल्थ पर दें ध्यान 

आज की तेज-तर्रार दुनिया में, स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन की भावनाओं को हम रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा मान लेते हैं. हालांकि, जब इस तरह की फीलिंग्स बनी रहें और ये आपके दैनिक कामकाज को प्रभावी करने लगें, तो यह एक सीरियस कंडीशन का संकेत हो सकती है. जिसपर आपको प्रोफेशनल मदद लेने की जरूरत पड़ सकती है. कभी-कभार स्ट्रेस या एंग्जायटी या फिर हर वक्त उदासी का अनुभव होना नॉर्मल बात है. ऐसी में आपको एक्सपर्ट की जरूरत कब है और कब ये नॉर्मल है… इसमें फर्क करना आना चाहिए. 

मेंटल हेल्थ पर दें ध्यान 

लकिन मेंटल हेल्थ का टॉपिक इतना छोटा नहीं है. इसमें हमारी फिजिकल हेल्थ से लेकर भावनाओं, विचारों का एक बड़ा स्पेक्ट्रम शामिल है. यह पहचानना जरूरी है कि मेंटल हेल्थ और मानसिक बीमारी पर्यायवाची नहीं हैं. खराब मेंटल हेल्थ किसी के विचारों और व्यवहार को प्रभावित कर सकती है. लेकिन इस तरह की स्थिति से गुजर रहे सभी लोगों को मानसिक रूप से बीमार नहीं कहा जाएगा. मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर में कई स्थितियां शामिल हैं, जिनमें डिप्रेशन, स्ट्रेस, सिजोफ्रेनिया आदि. इन सभी एक अपने लक्षण और ट्रीटमेंट ऑप्शन हैं. 

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कब लें प्रोफेशनल मदद?

आधे से ज्यादा लोग जीवन में किसी न किसी मोड़ पर बिंदु मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से जरूर गुजरते हैं. ऐसे में जरूरी है कि इसके लिए आप प्रोफेशनल मदद लें. लेकिन ये कब लेनी चाहिए? 

1. स्ट्रेस: मुश्किल समय में स्ट्रेस होना नॉर्मल है, लेकिन लंबे समय तक नहीं. जब स्ट्रेस आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है. लगातार स्ट्रेस, सिरदर्द, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मुद्दों और मांसपेशियों में दर्द जैसे शारीरिक लक्षण भी आपको महसूस हो रहे हैं, तो एक्सपर्ट की सलाह लें. 

2. एंग्जायटी: घबराहट और चिंता अगर एक साथ हो रही है तो ये भी एक संकेत है. जब ये आपके दैनिक कामकाज में खलल डालने लगे तो आपको परेशानी हो सकती है. ऐसे में किसी प्रोफेशनल की मदद लें. 

3.  डिप्रेशन: डिप्रेशन एक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है. ये किसी के काम करने की क्षमता को काफी हद तक खराब कर सकता है. डिप्रेशन में अगर कोई होता है तो उसका मन किसी से मिलने का नहीं करता है, सोने या खाने के पैटर्न में बदलाव होने लगता है और उदासी या निराशा भी हो सकती है. ट्रीटमेंट के लिए आपको थेरेपी लेनी चाहिए.  

4. भावनात्मक उतार-चढ़ाव: अगर आप छोटी-छोटी चीजों में इमोशनल हो जाते हैं या एकदम से खुश या एकदम से दुखी हो जाते हैं, तो ये भी एक संकेत है. आपको ऐसी स्थिति में एक्सपर्ट से बात करनी चाहिए. मूड स्विंग्स जैसे तेजी से कोई विचार आना या छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ापन होना भी इसका संकेत है. 

ऐसे में एक मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, या ऐसा थेरेपिस्ट जिसके पास लाइसेंस हो, वो आपकी मदद कर सकता है.