scorecardresearch

अब प्रोडक्ट को बेचने के लिए फेक रिव्यू का नहीं ले पाएंगे सहारा, ई-कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में उपभोक्ता मंत्रालय

ई-कॉमर्स कंपनियों को 6 महीने तक का समय दिया जाएगा ताकि वह दिशा निर्देशों को अमल में ला सकें. जिससे कस्टमर्स को किसी भी तरह की गलत जानकारी नहीं मिलेगी ना ही वह पेड रिव्यू से प्रभावित होगा. 

ई-कॉमर्स कंपनियों के फेक रिव्यू पर शिकंजा कसने की तैयारी ई-कॉमर्स कंपनियों के फेक रिव्यू पर शिकंजा कसने की तैयारी

बहुत से लोग ई-कॉमर्स साइट से प्रोडक्ट खरीदने से पहले रेटिंग और रिव्यू चेक करते हैं. अगर रिव्यू अच्छा हुआ तब ही उस प्रोडक्ट को खरीदने का मन बनाते हैं लेकिन कस्टमर्स को यह पता नहीं होता है कि उस प्रोडक्ट के बारे में लिखे गए रिव्यू असली हैं‌ या नहीं. अक्सर ई-कॉमर्स कंपनियों अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए फेक रिव्यू का इस्तेमाल करती हैं. इतना ही नहीं फूड एग्रीगेटर जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां फेक रिव्यूज के जरिए अपनी रेटिंग बढ़ाती हैं और कस्टमर को आकर्षित करती हैं.

अब सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के फेक रिव्यू पर शिकंजा कसने जा रही है. उपभोक्ता मंत्रालय ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर आने वाले रिव्यूज को लेकर के एक दिशा निर्देश अनिवार्य रूप से लागू करने की तैयारी कर रहा है. यानी अब ई कॉमर्स कंपनियों पर फेक रिव्यू नहीं चलेंगे. इसके तहत ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिस्क्लेमर देना भी अनिवार्य होगा. साल 2022 में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड द्वारा फेक रिव्यू और पेड रिव्यू को लेकर तैयार की गई गाइडलाइंस को ही सरकार अब अनिवार्य रूप से लागू करने की तैयारी कर रही है. 

बुधवार को केंद्रीय उपभोक्तासचिव द्वारा बुलाई गई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई है. इस बैठक में जोमैटो मेक माय ट्रिप, अमेजन, जस्ट डायल जैसी कई बड़ी कंपनियां शामिल थीं और अगर यह दिशा निर्देश लागू हो जाते हैं तो ई-कॉमर्स कंपनियों को पारदर्शिता सामने रखते हुए यह बताना होगा कि इन पर लिखे गए रिव्यू कितने पैसे देकर करवाए गए हैं या वह प्रमोशन रिव्यू हैं.

इस तरह की शिकायतों के बाद ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने दिशा निर्देश तैयार कर लिए हैं. और अब सरकार गाइडलाइंस को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है.‌ केंद्र सरकार को फेक रिव्यूज को लेकर ढेरों शिकायतें मिल चुकी हैं. इसके बाद ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने साल 2022 में इससे संबंधित दिशा निर्देश जारी किए थे. इंटरनेट पर फेक रिव्यू या इनफ्लुएंसर्स द्वारा प्रचार या फिर डार्क पैटर्न को लेकर केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय लगातार कार्यवाही कर रहा है. इन ई-कॉमर्स कंपनियों को 6 महीने तक का समय दिया जाएगा ताकि वह दिशा निर्देशों को अमल में ला सकें. जिससे कस्टमर्स को किसी भी तरह की गलत जानकारी नहीं मिलेगी ना ही वह पेड रिव्यू से प्रभावित होगा.

सम्बंधित ख़बरें